🔑 इंटरनेट कैसे काम करता है ?

इंटरनेट कैसे काम करता है ?

जब से इंटरनेट हमारे जिंदगी में आया हैं तब से हमारी जिंदगी पूरी बदल गई हैं। इंटरनेट के आने से कुछ लोगों की जिंदगी अच्छी हुई है तो कुछ लोगों की बुरी। जिस दिशा में हम इस इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे उस दिशा में यह हमे लेकर जायेगा। जिस तरह दिन ब दिन मोबाइल अपने अलग–अलग रूप लेकर आ रहा है,वैसे ही इंटरनेट भी बदल रहा है। इंटरनेट पर तमाम बड़ी कंपनिया है,जो की लोगों को ज्ञान पहुचांति है। इंटरनेट की वजह से हम सब कुछ जान सकते है,जैसे तापमान, पुस्तकी ज्ञान,समाचार और वीडियो कॉन्टेंट। इंटरनेट के होने से मानव के जीवन को नया आयाम मिला है। इंटरनेट का इस्तेमाल इतना बड़ा है,की हम उसको शब्दों में कभी भी जता नही पाएंगे। 


इंटरनेट के द्वारा ही गुगल जैसी टेक कंपनी लोगों के समस्याओं का निराकरण कर पा रही है। आज हर एक बात के लिए हम गुगल का इस्तेमाल करना जानते है जैसे खाना बनाना सीखना हो तब भी हमें गुगल की जरूरत पड़ती हैं। गुगल ने सर्च इंजिन के साथ अपना वीडियो प्लेटफॉर्म यूट्यूब को भी लोगों के सेवा में उपलब्ध कराया है। यूट्यूब आज के वक्त का जायंट बन गया है। सबसे ज्यादा विडियोज को लोग देखना पसंद करते है। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमाने वाली कंपनी भी गुगल ही है। हर येक सेकंड में कई करोड़ों में टैफिक गुगल के पास आती है। कही बार जब इंटरनेट से हम इतनी सारी जानकारी लेते है तब सब लोगों के मन में प्रश्न उत्पन्न होता है की,यह इंटरनेट कैसे काम करता होगा ? क्या यह आसमान के जरिए चलता है या कुछ और बात है ? यही प्रश्नों के उत्तर आज आपको में देने वाला हूं।

इंटरनेट किसी भी येक व्यक्ति के द्वारा चलाया नही जा सकता है उसके लिए बहोत लोग होने चाहिए तभी इंटरनेट बनता है। इंटरनेट सैटेलाइट के नही चलाया जाता है,इसके लिए हमे कई सारी ऑप्टिकल फाइबर समंदर में बिछानी पड़ती है। इसी ऑप्टिकल फाइबर को सबमरीन केबल भी कहा जाता है। सबमरीन केबल कंपनियां अपने खर्चे से तयार करती है और दुनिया में डेटा का आदान–प्रदान होता रहता है। इसी कंपनी को टियर वन कंपनी भी कहा जाता है। हमारी पृथ्वी इतनी बड़ी है फिर भी विश्व के सब देश इंटरनेट के जरिए येक साथ जुड़े हुए है। जिन भी देशों तक यह केबल नही पहुंची है वह देश के नाम सुनने में नही आते है। निन्यानवे प्रतिशत फाइबर्स समंदर में है बाकी येक या दो प्रतिशत जमीन पर पाए जाते है। 


येक केबल सौ जीबी पर सेकंड की स्पीड से चलता है। यह बिछाए हुए फाइबर हमारे बालों की तरह होते है। जब यह केबल देश में आते है तब इनको गावों तक पहुंचाने का काम टियर दो नंबर की कंपनिया करती है। उसमे हमारे जियो,एयरटेल और सभी तरह के कार्ड आते है। यह कंपनिया हमे डेटा बेचती है। कही बार जब हमारी इंटरनेट की स्पीड कम हो जाती है,तब हम कार्ड को दोष देते रहते है। जब इंटरनेट किसी भी टॉवर तक पहुंचता है तब जितने ज्यादा उस कार्ड के यूजर होंगे उतना धीमा इंटरनेट चलेगा। यही कारण है की,जब हम रात के समय इंटरनेट चलते है तब वह ज्यादा तेज चलता है। पानी में फाइबर डालने के कारण इंटरनेट बंद होने का प्रश्न नहीं आता है। फिर भी कही बार शार्क इंटरनेट के पाइप को काटती है तब उस वक्त बैकअप प्लान भी कंपनी के पास मौजूद होते है।

भारत में यह केबल मुंबई और कोचीन से सभी टॉवर तक पहुंचते है। हमारे सबसे अच्छा जियो का नेटवर्क आता था पर दिन ब दिन जियो के इंटरनेट की स्पीड कम हो रही हैं। रिलायंस जियो एशिया–अफ्रीका–यूरोप में फैला हुआ है इस कारण इंटरनेट सस्ते में हमे मिलता है। ऐसा नही है की सभी देशों को इंटरनेट में शामिल होना ही है,क्यों की कुछ देश इसके बाहर भी हो सकते है,जैसे चीन। इंटरनेट पर जो भी डोमेन होते है,उनको टॉप के अथॉरिटी यानी icann कंट्रोल करती हैं। ऑनलाइन जब हम डोमेन गो डैडी से लेते है,तो वहां पर .com डोमेन हम खरीदते है। .net ,com ,Org ,gov यह भी होते है,जो की icann के द्वारा पहुंचाए जाते है। इंटरनेट अपने आप में येक टेक्नोलॉजी की ब्रांच हो सकती हैं। इंटरनेट को हम जब समझने लगेंगे तो कई सारी और भी बाते उसमे आने लगेंगी।

मुझे लगता है आपको इंटरनेट कैसे काम करता है,इसके बारे में बहोत सी बाते समझ में आयि होंगी। आपका कोई और प्रश्न हो तो हमे जरूर बताएं। अच्छा लगा हो तो अपने दोस्त जरूर भेजिए,जिसके कारण वह भी जान पाएंगे की इंटरनेट किस तरह से काम करता है।

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