🎒 स्कूली जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा कौन सा होता है ?

स्कूली जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा कौन सा था ?

जैसे –जैसे हमारी उम्र बढ़ती हैं वैसे –वैसे जिंदगी हमे समझ आने लगती है। हमारी पुरानी गलतियों पर हमे हसी आने लगती है। हमे जिस वक्त में जीना चाहिए उस वक्त में न जीकर हम किसी अगले सुख की राह देखते हैं। हमे बरसों के बाद पता चलता हैं की,में समस्या में ही उलझा रहा और जीना भूल ही गया। हमारी जिंदगी स्कूल से ही शुरू होती है,इसके कारण स्कूली जीवन हमारे जिंदगी में बहोत मायने रखता है। हमारी लाइफ यादों से ही बनी है। जिंदगी चलती रहती है और उसके साथ कही अनुभव भी एकत्रित होने लगते है।


पाठशाला के पहले दिन का वर्णन हम कर ही नहीं सकते हैं,हमे खेलने के लिए लाया गया हैं यही लोग कहते रहते है। हमे लेके जाने वाली आंगनवाड़ी सेविका भी कुछ कम नहीं होती है,वह भी हमे हर रोज चॉकलेट्स देती है। आंगनवाड़ी में हमे कुछ समझ नहीं आता है पर बहोत मजा आता है। भारत में हमे आंगनवाड़ी में सिर्फ बैठने को सिखाया जाता है। आओ और तीन–चार घंटे आंगनवाड़ी में बैठो,खाओ और जाओ। हां,हम आंगनवाड़ी में लिखना जानते है। हमे वहां पर वर्णमाला कैसे–कैसे बनती है और उसे किस तरह लिखा जाता है इसका भी ज्ञान बहोत होता है। आंगनवाड़ी वही जगह है जहांपार हमे दोस्त मिलते है। हमारे लंगोटी यार कई बार तो हमारे जीवन में भी साथ होते है। बचपन में गांव घूमने का अलग ही मजा रहता है। 


हमारे भारत में लोग बच्चों को शिक्षा के अलावा और सब बाते सिखाते है जैसे,बोलना,झगड़ा करना और बातों को दोहराना। जब कभी भी हमारे आंगनवाड़ी में बड़े बच्चे आते है,तब हमे कही बाते बोलना वही सिखाते है। ज्यादातर हमारे गुरु बड़े बच्चे ही होते है। बचपन में किसी भी काम या इस दुनिया की जरा भी चिंता नही रहती है। हमे ज्यादा समझ में भी नही आता है और हम बस दिनभर जीवन का आनंद लेते रहते हैं। स्कूल के साथ हमारे घर में भी हमे बहोत प्यार करते है। छोटे बच्चों की हरकतों पर लोग हंसते रहते है। घर में उल्टा बोलना यह बचपन में ही अच्छा माना जाता है। हमारी आधी जिंदगी स्कूल में जाने के कारण हमारे पास उसको याद करने के कई कारण होते है। 


जैसे–जैसे बड़े होते है तब हमारा स्कूल का थोडासा बोझ भी बढ़ता है। हमे हर वर्ग में कुछ न कुछ जरूर सीखने मिलता है। ज्यादातर लोगों का पहली से चौथी वर्ग तक का सफर बहोत यादगार होता है,तथा यह सभी लोगों का अलग भी हो सकता है। यही दौर होता है जिसमे दोपहर की छुट्टी में येक साथ खाना खाने का मजा ही कुछ और होता है। कही बार हम घर से खाना लाते है,तो दोपहर में नीम के पेड़ के नीचे भी बैठकर खाते है। खेलना–कूदना यही पर ज्यादातर रहता है क्यों की, बाद में जीवन में हमारे समय की कमी कायम रहती है। जीवन में कही सारे शिक्षक आते है पर सबसे ज्यादा मानसिक समर्थन देने वाले गुरु यही होते है। यह दौर बहोत कुछ सीखाता है जैसे प्यार करना। सभी के जीवन चाहत कुछ इस दौर में ही होती है। हमे हमारे स्कूल की एखाद लड़की भी पसंद आने लगती है। 


जिस वक्त हमारे लंगोटी यारों को प्यार वाली बात पता चलती है तब वह हमे लड़की के नाम से तंग करने लगते है। प्यार में पहले–पहले ठीक लगता है पर बाद में हमे ही परेशानी होने लगती है। समय के साथ बहोत सी चीजे बदलती रहती हैं।
खैर आज के वक्त जब आप पढ़ रहे हो तब आपकी पसंद ने किसी और से शादी कर लियि है। कभी–कभी थोड़ा दुख भी होता है,पर चलो उससे ज्यादा हम आज सफल है इसका आनंद हमेशा रहता है। कुछ ठोकर और घटनाएं हमे जीवन में बहोत कुछ सिखाती है। बचपन में स्कूल यह मुलाकातों का बहोत बढ़िया जरिया होता है,कभी भी अकेलापन हमे नही खाता है। यह दिन हमे बुढ़ापे में बहोत आनंद देते है।


कई फंक्शन स्कूल में होते रहते है,साल में कई समारोह भी होते है। समारोह और गैदरिंग में हमे बड़ा मजा आता है। वनभोजन भी आज के समय कुछ स्कूल में किया जाता हैं, इसके कारण साल में येक बार नेचर में घूमने का समय जरूर मिलता है। जिसने भी यह सभी गांव का जीवन अनुभव किया है उसको यह दिन झट से याद आते है। स्कूल में एखाद टीचर भी हमे बहोत पसंद आता है,जरूरी नही है की वह महिला ही हो। भारत में ज्यादातर स्कूलों में इतिहास पढ़ाया ही जाता है। इतिहास हमारे जीवन में भी मूल्य रखता है। इतिहास हमे सबसे रोचक भी लग सकता है और सबसे खराब भी लग सकता है क्यों की इतिहास पढ़ाने वाले शिक्षक का बहोत महत्वपूर्ण रोल होता है। हां,थोड़ा इतिहास सुनना भी हमे पसंद आता था। गुरुजी इतना विषय में डूबते थे की,हमे भी घर आने का मन ही नही करता था। 

जवानी की गलतियां होने लगती है वैसेही हमारी दसवी पूरी होती है। दसवी में या तो अच्छे मार्क आते है या तो कम लेकिन ज्यादातर फेल कोई नही होता। सभी दोस्तों के रास्ते अलग हो जाते है। भारत में साइंस,कॉमर्स और आर्ट्स इनकी पढ़ाई करनी होती है। ज्यादातर लोग आर्ट्स के बच्चों अनपढ़ मानते है पर ऐसा नहीं है क्यों की,परिस्थितियां कई बार वैसी नहीं होती जैसी हमे चाहिए। बस यही से भविष्य बदलता है,बाकी भविष्य में कभी–कभी दोस्तों के साथ मुलाकाते होती रहती है। इस तरह हमारा स्कूली जीवन होता है जो की हमारे जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा होता है। सभी दोस्तों के अनुभव कुछ इस तरह के ही रहे होंगे। शायद कुछ लोगों ने यह जीवन जिया नही होगा पर गावों में तो इसी तरह का स्कूली जीवन होता है। 

जमाना जैसे बदल रहा है, वैसेही पैसों की कीमत भी बढ़ रही है। लोग जीवन जीने से ज्यादा पैसे कमाने में अपना सब समय डाल देते है। अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाते है। हां,उनका भविष्य अच्छा हो सकता है पर उनके पास यादें कुछ भी नहीं होंगी। मुझे लगता है की,साथी भी बहोत जरूरी होता है, जो की हर समय हमारी साथ दे। शायद आप भी समझे होंगे की, स्कूली जीवन का सबसे अच्छा कोनसा और क्यों था ? आपका कोई भी प्रश्न हो तो पूछना मत भूलिए। अच्छा लगा हो तो अपने बड़े दोस्तों के साथ शेयर करके उनको पुरानी दुनिया को याद दिला सकते है।😊😊😊

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