अंकों का महत्त्व हमारी जिंदगी इतना ज्यादा क्यों हैं ?

आपके जीवन में अंकों का कितना महत्त्व है, सम्भवतः आपने इस दिशा में कभी न सोचा हो और न ध्यान ही दिया।


थोड़ा ध्यान देकर देखिए तो आप पाएंगे कि अंक कहीं भी आपका पीछा नहीं छोड़ रहे ।

आपको अपने जन्म दिन की तारीख तो याद होगी ।

जब आप बच्चे थे तो आपके माता-पिता उस तारीख को खुशियां मनाते थे, दावतें देते थे, आपको भी उपहार मिलते थे और आप दूल्हा-से बने घूमते थे ।

आपको शिक्षारम्भ के दिन जहां भेजा गया, जन्म की तारीख पूछी गई तथा शिक्षा समाप्त होने पर स्कूल के प्रमाण पत्र पर वह दिन अंकित किया गया ।

आपको नौकरी मिली तो वही जन्मतिथि न जाने किन-किन कागजों पर लिखी गई और जब आपका विवाह होने को था तो भी पूछा गया कि आपकी 'डेट आफ वर्थ' क्या है।

शादी के बाद आपकी पत्नी ने भी आपके जन्म की तारीख पर खुशियां मनाईं, आपके मित्रों को चाय पर बुलाया, उसकी भी सहेलियां आयीं और यह सिलसिला न जाने कब तक, कहां तक चलता रहा और आपके जीवन में न जाने कितने अंक जुड़ते चले गए ।

आपने अपने विवाह की तारीख को भी याद रखा। आपके बच्चे भी हुए, उस दिन क्या तारीख थी ?

आपने उन्हें पढ़ने भेजा, आपने मकान खरीदा, आपने व्यापार आरम्भ किया, आपको कभी कोई भयंकर बीमारी हुई, किसी मुकदमे से पाला पड़ा, कहीं से आपको खुशियां मिलीं, आप विदेश गए और न जाने क्या-क्या आपके जीवन में जुड़ता चला गया, अर्थात् धन्धों का इतना अम्बार हो गया कि यदि उनमें वजन होता तो सम्भवतः आप उसे उठा न पाते

उदाहरणार्थ मान लीजिए आपका जन्म 27-11-1932 को हुआ।

इन अंकों को आप कभी भुला नहीं सकते, क्योंकि इनके साथ आपके जीवन की घटनाएं इस प्रकार जुड़ी हुई हैं कि उन्हें अंकों से पृथक किया ही नहीं जा सकता, परन्तु इस महत्वपूर्ण संख्या के साथ ही अन्य कई महत्त्वपूर्ण संख्याएं भी जुड़ी हुई हैं।


अपने जीवन की कुछेक महत्त्वपूर्ण घटनाएं याद कीजिए। हो सकता है ग्यारहवां महीना आपके जीवन में महत्त्वपूर्ण रहा हो।

यह भी हो सकता है कि आपके जीवन में कुछ निश्चित वर्षों के बाद कोई महत्वपूर्ण कार्य हुए हों।

अवश्य हुए होंगे। कई बार इस प्रकार की घटनाएं ऐसे क्रम से होती हैं, मानो किसी ने उन्हें नाप-तोल कर सुनिश्चित कर दिया हो।

हम आपके संतोष के लिए नीचे कुछ पाश्चात्य उदाहरण दे रहे हैं। अमेरिका ससार का सर्वशक्तिशाली राष्ट्र है ।

उस देश के जीवन में 13 के अंक को महत्त्वपूर्ण मान लिया गया है।

अमेरिकी राष्ट्रध्वज में 13 धारियां हैं, 13 बाण हैं, ईगल के ऊपर 13 सितारे हैं, ईंगल के प्रत्येक डैने में 13 पंख हैं और झण्डे में 13 ही पत्तियां हैं।

अमेरिका जब स्व तन्त्र हुआ तो वहां 13 राज्य थे और स्वतन्त्रता के घोषणापत्र पर भी 13 ही व्यक्तियों के हस्ताक्षर थे ।

इसके विपरीत यहूदी 13 के अंक को अशुभ मानते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि ईसा के बलिदान से पूर्व एक भोज हुआ था, उसमे 13 व्यक्ति थे ।

वे 13 के अंक से बचते हैं। वे अपनी धर्मशालाओं व होटलों में किसी कमरे को 13 नम्बर का कमरा नहीं रखते, उसे 12A कर देते हैं। यहूदी लोग 7 के अंक को महत्व देते हैं।



इसी प्रकार फ्रांस का एक प्रसिद्ध उपन्यासकार 13 के अंक को अशुभ मानता था । उसके साथ इस अंक के प्रभाव से ही अशुभ घटनाएं घटीं ।

1871 में जब फ्रेंच राष्ट्रीय असेम्बली के लिए चले तो उस दिन संयोग से 13 फरवरी थी, गाड़ी के उस डिब्बे में 13 व्यक्ति थे, वे जहां पहुंचे वहां उन्हें 13 नम्बर के कमरे में ठहराया गया, 13 मार्च की रात उन्होंने बड़ी बेचैनी से काटी, वह बिल्कुल सो न सके और उनके मन में विचार आया कि वर्ष के आरम्भ से ही 13 का अंक उनका पीछा कर रहा है।

उसी समय होटल का मालिक आया और उसने बताया कि जिस चाल्र्ल्स ह्यूगो की आपको प्रतीक्षा है, उसे मौत के घाट उतार दिया गया है

आपने देखा कि कैसे एक ही अंक यदि एक व्यक्ति के लिए शुभ हो

सकता है तो दूसरे व्यक्ति के लिए वही अंक अशुभ भी हो सकता है।

इस प्रकार आपने देखा कि अंकों का जीवन से किस प्रकार सम्बन्ध है। कोई अंक एक के लिए शुभ है तो दूसरे के लिए अशुभ ।

यदि आप भी अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं पर दृष्टिपात करेंगे और उनकी तारीखें नोट करेंगे तो आपको उनमें एक सिलसिला, एक तारतम्य दिखाई देगा ।



या तो वे घटनाएं एक अंक वाली किसी विशेष तारीख को घटित हुई होंगी या सुनिश्चित अन्तराल के बाद घटी होंगी ।

इससे आप यह भी अनुमान लगा सकेंगे कि आपके जीवन के आने वाले वर्षों में भी इतने ही अन्तराल पर इसी प्रकार घटनाएं होती रहेंगी।

इससे यह परिणाम निकलता है कि यदि आपको यह ज्ञान हो जाय कि आपके लिए कौन-सा अंक शुभ है और आप उसके अनुसार चलेंगे तो आपको अनेक लाभ होंगे ।

आपने उपरोक्त उदाहरणों में देखा कि 13 के अंक से अमेरिका ने अपने भाग्य को संवारा और महानतम शक्तिशाली बना ।

इसी प्रकार 7 के अंक ने भी आज यहूदी जाति को एक उत्तम और शक्तिशाली राष्ट्र बना दिया। आज मुट्ठी भर यहूदी अपने से कई गुना अधिक जनसंख्या वाले अरब राष्ट्रों के लिए हौवा बने हुए हैं।

कीरो ने इस बात का संकेत वर्षों पहले इसी 7 के अंक से गणना करके दिया था।

उसने कहा था कि 1980 तक यहूदी राष्ट्र बहुत शक्तिशाली बन जाएगा और वही हुआ ।

प्राचीन यूनान भी बहुत उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र था और उसने एक सभ्य, कलापूर्ण व उन्नत राष्ट्र के रूप में नाम पाया ।

इसका रहस्य यही है कि वहां के दार्शनिकों ने अंकों के महत्त्व को समझा और उसके अनु रूप ही कार्य किया ।



उनका विश्वास था कि अंकों में एक महान् एवं रहस्यपूर्ण शक्ति छिपी हुई है, पर उस शक्ति का, गणित की शक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं ।

यूनानी दार्शनिक पैथागोरस एक महान् अंक-शास्त्री था । उसके मत को मानने वालों का एक बड़ा समुदाय ही बन गया था।

उनका विश्वास था कि अंकों में महान् शक्ति है। ओरफुस यूनान की पौराणिक गाथाओं का एक नायक था।

उन्होंने उसके धार्मिक सिद्धान्तों से अंकों के मूल, परन्तु गूढ़ रहस्यों को जाना और उन्हीं के बलबूते पर महान् प्रगति की और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

यूनान में यह एक लोकोक्ति ही बन गई थी कि विश्व के रहस्य अंकों में ही छिपे पड़े हैं।

पैथागोरस ने कहा भी है, “सभी रचनाओं, स्वरूपों और विचारों का स्वामी अंक है और यही देवताओं और राक्षसों का जनक है।"

वस्तुतः अंकों की लीला बहुत ही विचित्र है। इनका आरम्भ शून्य से होता है और ये शून्य में ही विलीन हो जाते हैं। उनका प्रतिनिधि अंक 10 है।

यदि हम उन्हें उनके क्रम में लिखें और उन्हें आदि और अन्त से जोड़ें तो 10 का अंक ही प्राप्त होता है -



123456789

1 और 9 का जोड़ = 10

2 और 8 का जोड़ = 10

3 और 7 का जोड़ = 10

4 और 6 का जोड़ = 10

शेष रह जाता है 5 का अंक । यह बहुत ही महत्वपूर्ण अंक है। यह पंचतत्त्वों का प्रतिनिधित्व करता है।

प्राचीन जातियां इस अंक को बहुत ही आदर से देखती थीं। चीन में ही नहीं, भारत भी पांच को सदा से 'पंचपरमेश्वर' के रूप में मानते आए हैं।

चाऊ एन लाई ने नेहरू जी के साथ मिलकर जिन पांच सिद्धान्तों का निर्माण किया था, वह 'पंचशील' कहलाया।

उसके पीछे भी चीनवासियों की 'पांच' के प्रति आदर-भावना ही निहित थी।

चीन की सभ्यता बहुत प्राचीन मानी जाती है। अतः उसके प्रत्येक कार्य में 5 का ही महत्त्व है।

प्रभु ने भी 5 के अंक को इतना महत्त्वपूर्ण बनाया है कि यह हर पल, हर घड़ी हमारे अंग-संग है।

हमारे हाथ में पांच अंगुलियां हैं, हमारे पांव में पांच अंगुलियां हैं, आचरण के सिद्धान्त भी पांच ही हैं, पांच ही प्रकार के दण्ड हैं, जीवन में पांच ही तत्त्व हैं, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश

और संसार में पांच ही मुख्य द्रव्य हैं-मिट्टी (पृथ्वी), लकड़ी, धातु, अग्नि और जल ।
पांच ग्रह ही इनके देवता हैं तथा इनसे सम्बन्धित हैं।

शनि = पृथ्वी
जुपीटर= जंगल, वन व लकड़ी
वीनस धातु मंगल अग्नि
वरुण जल

इस प्रकार पांच का अंक तो हमारे जीवन और मरण से इस प्रकार सम्बद्ध है कि उसे पृथक् करना असम्भव ही है। वह मानवीय सम्बन्धों का

प्रतीक है। जिस प्रकार 5 का अंक हमारे जीवन में घुला मिला है, वह अपने
परिवार के अन्य अंकों के लिए भी एक रहस्य ही है ।

1 से 9 तक के अंकों का योग 45 होता है अथवा
5X9 = 45

1 से 9 तक विषम अंकों का योग 25 होता है अथवा
5X525

1 से 9 तक के सम अंकों का योग 20 होता है अथवा
5X4 = 20

इस रहस्यपूर्ण गठजोड़ से अन्य अंकों का व्यक्तिगत महत्त्व कम नहीं होता, परन्तु यह भी एक अद्भुत तथ्य है कि 9 के बाद के अंक, नौ तक
के अंकों की केवल पुनरावृत्ति ही हैं, जैसे

10=1+0=1
11=1+1=2 12=1+2=3
13=1+3=4
14=1+4=5
15=1+5=6
16=1+6=7
17=1+7=8
18=1+8=9

इसी प्रकार अंकों की पुनरावृत्ति होती जाती है और यह सिलसिला विचित्र रूप से आगे बढ़ता रहता है ।

इनके बिना अंक-विद्या आगे नहीं चल सकती । जिस प्रकार संगीत का आधार सात स्वर हैं, उसी प्रकार हमारी इस मौलिक व्यवस्था का आधार 1 से 9 तक के अंक ही हैं।

मुझे लगता हैं आप कुछ न कुछ समझ गए होंगे। अगर आपको यह पसंद आया तो मुझे नीचे कमेंट करके जरूर बताएं 


तथा आपका कोई ऐसा प्रश्न हो तो वह नीचे लीखिये मैं आपको उसका उत्तर जरूर प्रोवाइड करूँगा।


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